दशहरा 2024: मैसूर , कुल्लू ,मंदसौर का दशहरा होता है अलग,

दशहरा 2024: भारत में विविधतापूर्ण दशहरा उत्सवों का रंगारंग परिदृश्य

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जब भगवान राम ने रावण का वध किया था। हालांकि पूरे देश में इसे मनाने की परंपरा एक समान है, लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में दशहरे के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं। आइए जानते हैं, भारत के कुछ प्रमुख दशहरा उत्सवों के बारे में:

1. मैसूर दशहरा (कर्नाटक)

कर्नाटक के मैसूर में मनाया जाने वाला दशहरा उत्सव भारत के सबसे प्रसिद्ध और भव्य उत्सवों में से एक है। इसकी शुरुआत विजयनगर साम्राज्य के दौर से मानी जाती है, और आज भी इस उत्सव में शाही परंपराओं की झलक देखी जा सकती है। 2024 में भी मैसूर का दशहरा विशेष रहेगा, जिसमें मैसूर पैलेस को भव्य रूप से सजाया जाएगा, और शाही जुलूस निकाला जाएगा। हाथियों का श्रृंगार, पारंपरिक नृत्य, संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम इस उत्सव को विशेष बनाते हैं।

2. कुल्लू दशहरा (हिमाचल प्रदेश)

कुल्लू दशहरा, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू घाटी में मनाया जाता है और यह देश के अन्य उत्सवों से अलग है। जहां अन्य जगहों पर रावण दहन किया जाता है, वहीं कुल्लू में इसे नहीं जलाया जाता। यहां भगवान रघुनाथजी की पूजा होती है और विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों को पारंपरिक जुलूस के रूप में सजाकर निकाला जाता है। 2024 का कुल्लू में इस बार का उत्सव भी अनूठा होगा, क्योंकि यह एक सप्ताह तक चलने वाले भव्य मेले के रूप में प्रसिद्ध है, जिसमें स्थानीय हस्तशिल्प, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और लोक नृत्य आकर्षण का केंद्र होते हैं।

3. बस्तर दशहरा (छत्तीसगढ़)

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में मनाया जाने वाला दशहरा सबसे लंबा और अद्वितीय होता है। यह उत्सव 75 दिनों तक चलता है और इसकी जड़ें आदिवासी परंपराओं में गहरी होती हैं। बस्तर दशहरे की खासियत यह है कि यहां रावण की पूजा की जाती है और देवी ‘दंतेश्वरी’ की विशेष पूजा होती है। आदिवासी नृत्य, गायन और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ यह उत्सव 2024 में भी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करेगा। बस्तर का ये जनजातीय मान्यताओं, देवी-देवताओं के प्रति आस्था और उनकी परंपराओं का एक अद्वितीय रूप है।

4. मंदसौर दशहरा (मध्य प्रदेश)

मंदसौर का दशहरा भी मध्य प्रदेश के प्रमुख उत्सवों में से एक है। यहां की खासियत यह है कि रावण को मंदिर में भगवान शिव के भक्त के रूप में पूजा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि मंदसौर रावण की ससुराल थी। इस परंपरा के चलते यहां रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता, बल्कि उसकी पूजा की जाती है। 2024 में मंदसौर का में वियजादशमी, धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक होगा, जिसमें लोग भगवान शिव और रावण के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करेंगे।

विजयदशमी भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है, जो हमारी सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक परंपराओं की गहराई को दर्शाता है। 2024 में भी, यह त्योहार पूरे देश में उत्साह और भव्यता के साथ मनाया जाएगा, जहां हर क्षेत्र की अपनी विशेष परंपराएं और अनोखे रंग देखने को मिलेंगे। चाहे वह मैसूर का शाही उत्सव हो, कुल्लू का धार्मिक मेल, बस्तर का आदिवासी अनुष्ठान हो या मंदसौर की अनूठी रावण पूजा – दशहरे के ये अलग-अलग रूप हमें एक ही धागे से बांधते हैं।

SUBSCRIBE OUR YOUTUBE CHANNEL @NEWS GOOGLY ,और अधिक खबरों के लिए www.newsgoogly.com पढ़ते रहिए ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top