देवास टेकरी माता जी , माँ चामुंडा और माँ तुलजा भवानी के अद्वितीय मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, जिसे देशभर में आस्था का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है। यह पवित्र स्थान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके साथ जुड़ी प्राचीन मान्यताएँ और चमत्कारों की कहानियाँ भी इसे खास बनाती हैं। देवास का यह मंदिर शक्ति की देवी माँ सती से जुड़ा है, जहाँ उनकी रक्त की बूंदें गिरी थीं, जिसके परिणामस्वरूप यहाँ दो देवियों का प्रकट होना माना जाता है।
माँ चामुंडा और तुलजा भवानी: बहनों के रूप में पूजनीय देवियाँ
देवास टेकरी में दो देवियों की पूजा होती है—माँ चामुंडा और माँ तुलजा भवानी। इन दोनों देवियों को भक्त छोटी माँ और बड़ी माँ के रूप में भी जानते हैं। यह मान्यता है कि दोनों देवियों के बीच बहन का रिश्ता है, और वे यहाँ जागृत स्वरूप में विराजमान हैं। बड़ी माँ तुलजा भवानी को होलकर वंश की कुलदेवी माना जाता है,
जबकि छोटी माँ चामुंडा देवी पंवार वंश की कुलदेवी हैं। दोनों देवियों की मूर्तियाँ यहाँ स्वाभाविक रूप से प्रकट हुई मानी जाती हैं, और इन्हें स्वयंभू मूर्तियाँ कहा जाता है।
देवास टेकरी माता जी का रूप बदलने की अद्भुत मान्यता
देवास टेकरी मंदिर से जुड़ी एक प्रमुख मान्यता यह है कि माँ दिन में तीन बार अपना स्वरूप बदलती हैं। सुबह के समय माँ को बाल अवस्था, दोपहर में युवा अवस्था, और रात को वृद्ध अवस्था के रूप में देखा जाता है। यह चमत्कार भक्तों के लिए अद्वितीय अनुभव होता है, और यही वजह है कि श्रद्धालु यहाँ अपनी मन्नतें लेकर आते हैं। लोगों का विश्वास है कि सच्चे मन से माँ से जो भी माँगा जाए, वह अवश्य पूरा होता है।
माताओं की पूजा और धार्मिक आयोजन
यह स्थान न केवल माता के अद्भुत स्वरूपों के लिए, बल्कि यहाँ आयोजित होने वाले विशेष धार्मिक आयोजनों के लिए भी प्रसिद्ध है। नवरात्रि के समय यहाँ भव्य मेले का आयोजन होता है, और लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं।
नवरात्रि के दिनों में अष्टमी और नवमी पर विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है, जिसमें होलकर और पंवार राजवंश के लोग भी शामिल होते हैं। मंदिर के पुजारियों के अनुसार, इन दिनों में विशेष शिखर दर्शन का महत्व होता है, और भक्त इसे अपने जीवन का पुण्य मानते हैं।
टेकरी की लोक मान्यताएँ और किवदंतियाँ
देवास टेकरी से जुड़ी कई किवदंतियाँ हैं। कहा जाता है कि एक बार दोनों देवियों के बीच किसी विवाद के कारण, दोनों देवियाँ अपना स्थान छोड़कर जाने लगीं।
बड़ी माँ आधी पाताल में समा गईं, जबकि छोटी माँ टेकरी से नीचे उतरने लगीं। इस स्थिति में हनुमान जी और भैरव बाबा ने हस्तक्षेप कर माँ से क्रोध शांत करने की विनती की, जिसके बाद दोनों देवियाँ उसी स्थिति में रुक गईं। आज भी दोनों देवियाँ उसी अवस्था में टेकरी पर विराजमान हैं।
माँ को पान का बीड़ा अर्पित करने की प्रथा
देवास टेकरी मंदिर में एक विशेष प्रथा है, जिसमें भक्त माँ को पान का बीड़ा अर्पित करते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और मान्यता है कि संतान की प्राप्ति के लिए भक्त पाँच दिनों तक माँ को पान का बीड़ा अर्पित करते हैं। इसके अलावा, मन्नत पूरी होने पर उल्टा स्वास्तिक बनाकर उसे सीधा करने की भी प्रथा यहाँ निभाई जाती है।
मंदिर तक पहुँचने के मार्ग और सुविधाएँ
देवास टेकरी के मंदिर तक पहुँचने के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं। निकटतम हवाई अड्डा इंदौर में स्थित है, जो देवास से लगभग 35 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा, देवास शहर आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हुआ है, जो माता की टेकरी के नीचे से होकर गुजरता है। ट्रेन से भी देवास आसानी से पहुँचा जा सकता है, और यहाँ से इंदौर और उज्जैन भी नजदीक हैं।
देवास टेकरी माता का मंदिर मध्य प्रदेश का एक प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल है, जहाँ माता चामुंडा और तुलजा भवानी के जागृत स्वरूपों की पूजा की जाती है। श्रद्धालु यहाँ आकर अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए, माता के अद्वितीय रूपों का दर्शन करने और धार्मिक आयोजनों में भाग लेने के लिए आते हैं। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
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