नए भारत की नई खादी ने बनाया बिक्री का रिकॉर्ड: गांधी जयंती पर खादी भवन में 2.01 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक बिक्री

नए भारत की नई खादी , जी हां खादी को लेकर लोगों का रूझान बढ़ता जा रहा है । प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘वोकल फॉर लोकल’ अपील और खादी को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों ने एक नया इतिहास रच दिया है। गांधी जयंती के अवसर पर दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित ‘खादी भवन’ में 2 करोड़ 1 लाख 37 हजार रुपये की रिकॉर्डतोड़ बिक्री दर्ज की गई, जो खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों की अब तक की सबसे बड़ी बिक्री है। यह खादी और ग्रामोद्योग के इतिहास में किसी भी स्टोर की तुलना में सर्वाधिक बिक्री मानी जा रही है।

‘चरखा क्रांति’ का प्रभाव

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के अध्यक्ष श्री मनोज कुमार ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि का श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘ब्रांड पावर’ और उनके नेतृत्व में फल-फूल रही ‘चरखा क्रांति’ को दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने बीते 10 वर्षों में खादी को राष्ट्रीय पहचान दिलाई है और देशवासियों को स्वदेशी उत्पादों को अपनाने के लिए प्रेरित किया है।

29 सितंबर, 2024 को प्रसारित ‘मन की बात’ के 114वें एपिसोड में प्रधानमंत्री ने त्योहारी सीजन के दौरान ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों को खरीदने और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान का समर्थन करने की अपील की थी। इसका सीधा असर गांधी जयंती पर देखने को मिला, जब खादी भवन ने एक दिन में 2.01 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक बिक्री की।

नए भारत की नई खादी

नए भारत की नई खादी , खादी उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता

बिक्री के आंकड़ों के अनुसार, खादी भवन में 67.32 लाख रुपये की सूती खादी, 44.75 लाख रुपये की रेशमी खादी, 7.61 लाख रुपये की ऊनी खादी, और 65.09 लाख रुपये के रेडीमेड खादी उत्पाद बिके। यह आंकड़े इस बात का प्रतीक हैं कि खादी अब सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक फैशन स्टेटमेंट भी बन गई है, विशेषकर युवा वर्ग के बीच।

सूती खादी की बिक्री में पिछले साल के मुकाबले 150.35% की वृद्धि दर्ज की गई, जो दर्शाता है कि लोगों के बीच खादी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। पिछले साल 2023 में जहां 26.89 लाख रुपये की सूती खादी बिकी थी, वहीं इस बार यह आंकड़ा 67.32 लाख रुपये तक पहुंच गया।

प्रधानमंत्री मोदी की अपील का असर

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा था, “आप जो भी खरीदें, वो ‘मेड इन इंडिया’ होना चाहिए… ऐसा कोई भी उत्पाद, जो भारतीय कारीगर के पसीने से बना हो, वो हमारा गौरव है।” उनकी इस अपील ने देशवासियों को प्रेरित किया और त्योहारी सीजन में खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों की खरीदारी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

खादी: नए भारत का प्रतीक

खादी न केवल महात्मा गांधी की विरासत का प्रतीक है, बल्कि यह ‘नए भारत की नई खादी’ के रूप में उभर रही है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ‘खादी क्रांति’ ने खादी को एक राष्ट्रीय ब्रांड बना दिया है। वर्ष 2021 से लेकर अब तक खादी भवन की बिक्री में निरंतर वृद्धि देखी गई है।

वर्षबिक्री (रुपये में)
20211.01 करोड़
20221.34 करोड़
20231.52 करोड़
20242.01 करोड़

यह आंकड़े दर्शाते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘मेड इन इंडिया’ अपील ने खादी के प्रति लोगों के नजरिए को बदल दिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील से प्रेरित होकर खादी भवन की रिकॉर्ड बिक्री ने साबित कर दिया कि खादी अब सिर्फ एक वस्त्र नहीं, बल्कि राष्ट्र के गौरव का प्रतीक बन गई है। यह ‘चरखा क्रांति’ न केवल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि भारत के कारीगरों और किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का भी माध्यम है।

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