मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के रेहटी में स्थित सलकनपुर विजयासन माता मंदिर भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जिसे 52वें शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर माँ दुर्गा के विंध्यवासनी बीजासन देवी रूप की पूजा के लिए प्रसिद्ध है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, माँ दुर्गा ने इस स्थान पर महिषासुरमर्दिनी अवतार में रक्तबीज नामक राक्षस का वध किया और यहाँ विजयी मुद्रा में तपस्या की, जिसके कारण उन्हें विजयासन देवी कहा गया।
भौगोलिक स्थिति और पहुँच
सलकनपुर का यह पवित्र मंदिर सीहोर जिले के सलकनपुर गाँव में, रेहटी तहसील के पास एक 800 फुट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। भोपाल से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर, भोपाल-नसरुल्लागंज मार्ग पर स्थित यह मंदिर हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर तक पहुँचने के लिए पैदल मार्ग और 1,451 सीढ़ियों वाला रास्ता है, लेकिन भक्तों की सुविधा के लिए यहाँ रोपवे की व्यवस्था भी की गई है। यह रोपवे सेवा विशेष रूप से उन श्रद्धालुओं के लिए लाभदायक है जो कठिन चढ़ाई नहीं कर सकते।
सलकनपुर सड़क,रेल और हवाई मार्ग से पहुंचा जा सकता है ।
निकटतम रेलवे स्टेशन बुदनी है, जो मंदिर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और निकटतम हवाई अड्डा भोपाल का राजा भोज एयरपोर्ट, जो लगभग 70 किलोमीटर दूर है।
400 साल पुराना मंदिर और विजयासन देवी की मान्यता
यह प्राचीन मंदिर लगभग 400 साल पुराना है, और यहाँ स्थापित विजयासन देवी की मूर्ति को स्वयंभू माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, दुर्गा माँ ने इस स्थान पर महिषासुरमर्दिनी अवतार में रक्तबीज राक्षस का वध किया था और यहाँ विजयी मुद्रा में तपस्या की थी। मंदिर के गर्भगृह में आज भी दो अखंड ज्योतियाँ प्रज्वलित हैं—एक नारियल के तेल से और दूसरी घी से, जो सदियों से लगातार जल रही हैं। इन ज्योतियों को माँ का प्रत्यक्ष रूप माना जाता है, और इनका पूजन विशेष रूप से किया जाता है।
नवरात्रि का विशेष महत्त्व
हालांकि सालभर यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि के अवसर पर मंदिर की छटा निराली होती है। हर साल नवरात्रि के दौरान यहाँ भव्य मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस दौरान देवी को भव्य वस्त्र और आभूषणों से सजाया जाता है, और मंदिर परिसर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह पर्व भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है, जब वे अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और माँ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
मंदिर का रखरखाव और जीर्णोद्धार
वर्तमान में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है और इसके रखरखाव की ज़िम्मेदारी सलकनपुर ट्रस्ट द्वारा निभाई जाती है। मंदिर परिसर में भक्तों के लिए विभिन्न सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जैसे कि रोपवे, प्रसाद वितरण, और आरामदायक यात्री सुविधाएँ। यह स्थान एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में विकसित हो चुका है, जहाँ श्रद्धालु आध्यात्मिक शांति और मानसिक सुकून की तलाश में आते हैं।
सदियों से जलती धूनी और महाप्रसाद
मंदिर में एक विशेष अखंड धूनी भी जल रही है, जिसे स्वामी भद्रानंद और उनके शिष्यों द्वारा प्रज्वलित किया गया था। धूनी की राख को महाप्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है, जिसे भक्त अपने जीवन में शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा के रूप में ग्रहण करते हैं।
सलकनपुर विजयासन माता मंदिर न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे देश के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा, प्राचीन मान्यताएँ, और प्राकृतिक सौंदर्य भक्तों को एक अलौकिक अनुभव प्रदान करते हैं। माँ विजयासन देवी की कृपा से यहाँ आने वाले सभी भक्त अपने जीवन में नई शक्ति, शांति और समृद्धि का अनुभव करते हैं।
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