अंगारों पर आस्था: नवरात्रि पर अनोखी परंपरा मंदसौर जिले के विभिन्न इलाकों में नवरात्रि के समापन अवसर पर भक्त अपनी आस्था प्रकट करने के लिए अनोखी परंपराओं का पालन करते हैं। सीतामऊ के पास स्थित भगोर गांव में नवरात्रि के अंतिम दिन, नवमी के अवसर पर एक विशेष आयोजन होता है जिसे “चूल” कहा जाता है। इस परंपरा के तहत भक्त नंगे पैर जलते अंगारों पर चलकर अपनी श्रद्धा और भक्ति का प्रदर्शन करते हैं।
अंगारों पर आस्था, चूल में लेते हैं ग्रामीण भाग।
ग्रामीणों का मानना है कि अंगारों पर चलने से शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है। इस दिन गांव के लोग सामूहिक रूप से हवन-पूजन करते हैं और चंबल नदी के किनारे इस अद्वितीय चूल का आयोजन होता है। चूल में पहले सूखे गोबर के कंडे रखे जाते हैं, जिन पर घी डालकर आग प्रज्वलित की जाती है। जब अंगारे पूरी तरह से धधकने लगते हैं, तो ग्रामीण—बच्चे, बड़े सभी—नंगे पैर उन अंगारों पर चलते हैं।
यह परंपरा सदियों पुरानी है और आज भी गांव के लोग पूरी आस्था और विश्वास के साथ इसे निभाते हैं। अंगारों पर चलना न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि ग्रामीण संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है।
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