मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के थाना हस्तिनापुर क्षेत्र में स्थित सिद्ध स्थल “समझौते वाले हनुमान बाबा” मंदिर में एक ऐतिहासिक समझौता हुआ। आठ साल से चली आ रही दुश्मनी, जिसे समाज, पुलिस और कोर्ट भी सुलझाने में असमर्थ थे, चंद मिनटों में समाप्त हो गई। दो गुटों के बीच वर्षों से चला आ रहा विवाद शनिवार को पुलिस की कोशिशों और समाज की पहल से समाप्त हो गया। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे से माफी मांगी और मिलकर खीर और दाल-टिक्कड़ का भंडारा कराया।
समझौते वाले हनुमान बाबा
समझौते वाले हनुमान बाबा के दरबार में, 8 साल पुरानी दुश्मनी का अंत
ग्वालियर के छोंदी गांव में रामलखन सिंह गुर्जर (पटवारी) और शिवराज सिंह गुर्जर के परिवारों के बीच पिछले आठ सालों से रंजिश चली आ रही थी। यह विवाद शुरू हुआ था खेत की मेड़ पर चारा काटने को लेकर हुए झगड़े से, जो धीरे-धीरे एक गंभीर दुश्मनी में बदल गया। पिछले आठ सालों में दोनों पक्षों के बीच करीब 15-20 बार झगड़े हो चुके थे, जिनमें कई बार लाठी-डंडों और बंदूकों का इस्तेमाल भी हुआ। इस संघर्ष में 20 से अधिक लोग घायल हो चुके थे और दोनों तरफ से एक-दूसरे पर 3-3 FIR दर्ज थीं। पुलिस द्वारा 14 बार प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी की गई, लेकिन दुश्मनी खत्म नहीं हो रही थी।
पुलिस की पहल
बीते बुधवार को दोनों गुट एक बार फिर आमने-सामने आ गए थे, जिसके बाद पुलिस ने स्थिति को गंभीरता से लिया। SDOP बेहट सर्कल संतोष पटेल के नेतृत्व में पुलिस ने दोनों गुटों को समझौते के लिए राजी करने का प्रयास किया। पुलिस ने दोनों परिवारों को समझौते वाले हनुमान बाबा के मंदिर के सामने बैठाकर बातचीत करवाई। पहले तो बातचीत के दौरान थोड़ी गहमागहमी हुई, लेकिन जल्दी ही दोनों पक्षों ने पुलिस की बात मान ली और अपनी दुश्मनी खत्म करने का फैसला किया।
हनुमान जी के साक्षी में दोस्ती का संकल्प
दोनों परिवारों ने हनुमान जी को साक्षी मानकर संकल्प लिया कि वे अब कभी नहीं लड़ेंगे और अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार देंगे। इस दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे से गले मिलकर माफी मांगी। अपनी दुश्मनी के अंत और नई दोस्ती की शुरुआत पर खुशी जाहिर करते हुए दोनों गुटों ने मिलकर खीर और दाल-टिक्कड़ का भंडारा कराया, जिसमें स्थानीय लोग और पुलिस भी शामिल हुए।
पुलिस के प्रयासों की सराहना
पुलिस के इस प्रयास ने न सिर्फ एक लंबी चली आ रही रंजिश को खत्म किया, बल्कि दोनों परिवारों को यह एहसास दिलाया कि इस संघर्ष में उन्होंने पिछले आठ सालों में क्या खोया। ग्वालियर के हस्तिनापुर थाना के पुलिस बल की इस सराहनीय पहल ने एक खतरनाक दुश्मनी को दोस्ती में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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