RSS प्रमुख मोहन भागवत : संत पूजा करते हैं, संघ बाहर उनकी सुरक्षा में लगा है ।

चित्रकूट में रामकिंक शताब्दी समारोह का आयोजन किया जा रहा है । समारोह में विशेष रूप से आरएसएस प्रमुख मोहन भावगत भी पहुंचे थे । यूपी के चित्रकूट बॉर्डर से सटे सिया राम कुटीर उद्योग में चल रहे रामकिंकर शताब्दी समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने अपने प्रेरणादायी संबोधन से सभा को संबोधित किया। समारोह में भागवत ने सनातन धर्म और राष्ट्र की सुरक्षा के प्रति संघ के समर्पण को लेकर गहन संदेश दिए।

RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले संतों की सेवा के लिए तत्पर संघ

मोहन भागवत ने अपने भाषण में कहा कि संघ का कर्तव्य है कि वह संतों की सेवा और सुरक्षा में तत्पर रहे। उन्होंने कहा, “संघ का कार्य है कि द्वार पर डंडा लेकर संतों की सेवा में हमेशा खड़ा रहे, ताकि उनके कार्यों में कोई बाधा न आए।” भागवत ने सनातन धर्म की रक्षा के प्रति संघ के समर्पण पर जोर देते हुए धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा में संतों के मार्गदर्शन की आवश्यकता बताई।

सत्य और शक्ति पर जोर

भागवत ने अपने भाषण में इशारों में यह संदेश दिया कि भारत को दबाने के प्रयास चल रहे हैं, लेकिन सत्य को कभी दबाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा, “सत्य का समय आता है तो वह सर चढ़कर बोलता है।” साथ ही उन्होंने कहा कि हमें शस्त्रों की आवश्यकता है, लेकिन शस्त्र धारण करने वाले में राम जैसे विचार होने चाहिए, ताकि शक्ति का सही उपयोग हो सके। उनके इस वक्तव्य ने उपस्थित लोगों को विचारशील बना दिया।

RSS प्रमुख मोहन भागवत

राम मंदिर पर बयान: “अयोध्या सबकी है, राम मंदिर सनातन का है”

राम मंदिर को लेकर भागवत ने स्पष्ट संदेश दिया कि “अयोध्या सबकी है और राम मंदिर सनातन का है।” उन्होंने राम मंदिर के निर्माण को भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का प्रतीक बताया।

संत और संघ की भूमिका पर दृष्टिकोण

भागवत ने संत और संघ की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संत मंदिर के भीतर रहकर पूजा करते हैं, जबकि संघ के कार्यकर्ता बाहर रहकर उनकी सुरक्षा में लगे रहते हैं। उन्होंने संतों और संघ के बीच गहरे संबंध और एक-दूसरे के पूरक होने का दृष्टिकोण साझा किया।

अपने उद्बोधन के दौरान भागवत ने संतों के दिव्य विचारों की तुलना कड़वे चूर्ण से करते हुए कहा कि ये विचार जीवन में सुधार लाने के लिए जरूरी हैं। उन्होंने यह संदेश दिया कि कभी-कभी कड़वे अनुभव ही जीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं।

मोहन भागवत के इन विचारों ने न केवल उपस्थित लोगों को प्रेरित किया बल्कि सनातन धर्म, सत्य, और राष्ट्र रक्षा की दिशा में संघ के उद्देश्य को भी स्पष्ट किया।

SUBSCRIBE OUR YOUTUBE CHANNEL @NEWS GOOGLY ,और अधिक खबरों के लिए www.newsgoogly.com पढ़ते रहिए ।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top